Saturday, 19 October 2019

कर तू यूँ संधान की बादल फट जाएं,
कर तू यूँ संधान की सूरज छिप जाए।
कर तू यूँ संधान गगन से रक्त वृष्टि हो,
कर तू यूँ संधान की कम्पित अखिल सृष्टि हो।।
कर तु यूँ संधान धरा भी डगमग डोले,
कर तू यूँ संधान की रण में चण्डी डोले।
कर तू यूँ संधान की हिलनें लगें दिशाएं,
कर तू यू संधान की हो अनुकूल हवाएं।।

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