क्यों क्षीण हो तुम,
विकट है परिस्थिति
युद्ध की है स्थिति,
संकट में आकर अब भी
क्यों आनंद में लीन हो तुम
क्यों क्षीण हो तुम।
जब युद्ध ही विकल्प है,
ये मृतु का ही कल्प है।
भयानक हाहाकार के मध्य,
सिर्फ विजय का संकल्प है।
आपदाग्रस्त मानव
क्यों उन्माद से हीन हो तुम
क्यों क्षीण हो तुम।
विकट है परिस्थिति
युद्ध की है स्थिति,
संकट में आकर अब भी
क्यों आनंद में लीन हो तुम
क्यों क्षीण हो तुम।
जब युद्ध ही विकल्प है,
ये मृतु का ही कल्प है।
भयानक हाहाकार के मध्य,
सिर्फ विजय का संकल्प है।
आपदाग्रस्त मानव
क्यों उन्माद से हीन हो तुम
क्यों क्षीण हो तुम।
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