अब मौन रहने का वक्त नहीं रह गया है| देख देख कर रुदन माताओं और बहनों का | जवानों की अर्थियां |
जवानों की जलती हुई चिताएं | सब अन्दर ही अन्दर रोष को बढ़ावा देती जा रही है| अब अगर हिंसा छोड के
गाँधी जी के पथ को पकड़ें अर्थात उरी पे आक्रमण हुवा तो अगली पोस्ट भी आक्रमण करने को दे दें तो फिर तो
हो चुका कल्याण |
आज के हजारों साल पहले भी यही हनुमान जी नें कहा था कि :
जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। तेहि पर बाँधेउँ तनयँ तुम्हारे॥
और वेदों में भी कहा गया है दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना चाहिए- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्।'
'आर्जवं हि कुटिलेषु न नीति:।' अर्थात् दुष्ट के साथ सरलता नहीं बरतनी चाहिए। ऐसी नीति अपनानी चाहिए
जिससे उसे यह न लगे कि हम कमजोर हैं या उसका प्रतिकार नहीं कर सकते।
तो अब मौन रहने का समय गया | अब समय आ गया है की ईंट का जवाब पत्थर से दें|
जो क्षति हुई है उसे कोई भी मुआवजा नहीं भर सकता| पूरा देश अब यही चाहता है कि मुआवज़े के पैसे भी लगा
दो पर अब छोड़ना नहीं है| अब परीक्षा की घडी है हमारी पूर्ण बहुमत से विजयी सरकार की| हमारे जवान पैसे
के लिए सीमा पे जान नहीं लगाते हैं और न ही उनके परिवार वाले पैसे के लिए भेजते हैं उन्हें सीमा पे|हम सब,
पूरा देश अब मोदी जी के वाक्यों और निर्णयों को देखना चाहता है| यह परीक्षा की घड़ी है | तो अब हमें नया
मुद्दा ले आ कर गृहयुद्ध करने के बजाये दोषियों को सजा दिलाने की बात करनी चाहिए | वही सच्ची श्रद्धांजलि है|
भगवान नेताओं को सद्बुद्धि दे| यही कमाना है कि पित्रपक्ष में पकिस्तान के आतंकियों का पिंडदान हो और
नवरात्र के बाद विजयादशमी के दिन पकिस्तान अधिकृत कश्मीर का स्वंत्रता दिवस मनाएं हम सब|
श्री रामधारी सिंह दिनकर की बात सही लगती है :
गरज कर बता सबको, मारे किसी के
मरेगा नहीं हिन्द-देश,
लहू की नदी तैर कर आ रहा है
कहीं से कहीं हिन्द-देश।
लड़ाई के मैदान में चल रहे ले के
हम उसका उड़ता निशान,
खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा,
ओ मेरे देश के नौजवान!
जय हिन्द || जय भारतवर्ष ||
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